गत दिनों उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने की घोषणा की थी और अब उनकी सरकार इस दिशा में तेजी से बढ़ती हुई नजर आ रही है। ग्रेटर नोएडा में एक हजार एकड़ में इस फिल्म सिटी को बनाना सुनिश्चित किया गया है। खबरों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी चाहते हैं कि शीघ्र इसकी औपचारिकताएं पूरी कर फिल्म सिटी के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाए।
दरअसल उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने की बात बीते कई दशकों से हो रही है। बीते दशकों के दौरान प्रदेश में कई सरकारों के कार्यकाल के दौरान फिल्म सिटी का विषय आया था, लेकिन कुछ भी ठोस रूप में आकार नहीं ले सका। लेकिन अब योगी आदित्यनाथ सरकार की सक्रियता देखकर उम्मीद जगती है कि शायद अबकी यह घोषणा सिर्फ घोषणा बनकर न रहे। वैसे अभी उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी का काम प्राथमिक चरण में ही है, लेकिन एक बार के लिए यदि मान लें कि सरकार की सक्रियता से राज्य में फिल्म सिटी बनकर खड़ी हो जाएगी तो भी ऐसी कई बातें हैं, जिन पर काम किए बिना फिल्म सिटी के बहुत सफल होने की संभावना नहीं है।
दरअसल किसी भी फिल्म के निर्माण में अभिनेता-अभिनेत्री से बड़ी भूमिका परदे के पीछे काम करने वाले तकनीकी विशेषज्ञों की होती है। उत्तर प्रदेश ने फिल्म जगत को कलाकार तो खूब दिए हैं और अब भी दे ही रहा है, लेकिन फिल्म निर्माण के अन्य पक्षों से संबंधित प्रतिभाएं राज्य में पर्याप्त विकसित नहीं हो पाई हैं। कारण कि यहां उसके लिए आवश्यक व्यवस्था ही नहीं है। फिल्म निर्माण में छायांकन और संपादन जैसी चीजें महत्वपूर्ण होती हैं। उत्तर प्रदेश में फिल्म निर्माण की इन तमाम जरूरतों को लेकर अभी तक कोई ठोस तैयारी नजर नहीं आती। फिल्म निर्माण से संबंधित इन तकनीकी विषयों के शिक्षण-प्रशिक्षण की कोई पुख्ता व्यवस्था अभी राज्य में विकसित नहीं हो पाई है। ऐसे में, केवल फिल्म सिटी का ढांचा खड़ा हो जाने से फिल्म निर्माण के परिवेश का निर्मित होना संभव नहीं है।