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सोमवार को वाराणसी में गांगेय डाल्फिन जलज सफारी की शुरूआत, नाविकों को मिलेगा रोजगार

डॉल्फिन दिवस पर सोमवार को मारकंडेय महादेव घाट से लेकर गंगा-गोमती संगम तक गांगेय डॉल्फिन जलज सफारी की शुरूआत होने जा रही है। इसके तहत पर्यटक गंगा में डॉल्फिन की अठखेलियों का लुत्फ उठा सकेंगे, वहीं दूसरी ओर बनारस के आंचलिक नाविकों को भी अब रोजगार का अच्छा साधन मिल सकेगा। इसका शुभारंभ जिलाधिकारी के हाथों होगा। गंगा प्रहरी नागेंद्र निषाद ने बताया कि बोटमैन पर्यटकों व वाटर एडवेंचर करने वालों को डॉल्फिन के संरक्षण व जीवन के बारे में गाइड करेंगे। लोग चौबेपुर से आठ किलोमीटर दूर गंगा की तरफ चलने पर मारकंडेय महादेव मंदिर से सुबह नौ बजे के बाद इस सफारी का लुत्फ उठा सकेंगे। भारतीय वन्य जीव संस्थान की सुनीता रावत ने बताया कि शुभारंभ के बाद अन्य कई और भी नावें चलाईं जाएंगी जिससे बड़े स्तर पर आए लोग गंगा सफारी का अनुभव उठा पाएंगे। इस क्षेत्र को अब इको टूरिज्म से जोड़ा जा रहा है जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी।

गहराई होने से राजघाट से मणिकर्णिका तक हैं अधिक डॉल्फिन

चंद सेकेंड के लिए पानी से बाहर आना और गायब हो जाना। अठखेलियां करती डॉल्फिन को देखने के लिए हमें कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। घंटों खड़े रहकर एक बार डॉल्फिन का दीदार कितना कौतूहल पैदा करता है, पर अब गांगेय डॉल्फिन को देखना आसान होगा। माना जाता है कि डॉल्फिन दो से तीन मिनट में सांस लेने के लिए पानी से ऊपर जंप करती है। गंगा प्रहरी दर्शन निषाद ने बताया कि ढंकवा से लेकर गंगा और गोमती के संगम तक डॉल्फिन की सक्रियता सबसे ज्यादा देखी जाती है, क्योंकि जहां पर जलधाराएं आपस में टकराती हैं, वहां पर इनके पाए जाने की संभावना काफी रहती है। वहीं राजघाट से लेकर मणिकर्णिका तक पानी की गहराई लगभग 30 मीटर की है और डॉल्फिन हमेशा गहराई में रहती हैं इसलिए इस ओर लगभग 60 से 70 डॉल्फिन सैर करती रहती हैं, जबकि डॉल्फिन प्वाइंट ढंकवा में ही है।

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