चुनाव के विदेशी मॉडल को अभी आयोग ने नहीं अपनाया, परंतु ग्रामीण मतदाता और प्रत्याशियों के बीच यह बिना किसी ट्रेनिंग के अपना लिया गया है। मॉक पोल (छद्म मतदान) के नाम पर गांवों में मोबाइल पर ‘स्मार्ट पोलिंग’ खूब लोकप्रिय हो रही है। ग्राम पंचायतों में एक मोबाइल एप के लिंक के जरिए प्रत्याशियों के बीच कड़ी जोर आजमाइश जारी है। मतदाता बाकायदा उन्हें एक क्लिक के जरिए अपना वोट भी दे रहे हैं।
प्रतिदिन एक दूसरे की जुबानी यह बुलेटिन भी पहुंचाया जाता है कि कौन प्रत्याशी कितने पानी में है। आज वह कितने वोटों तक पहुंच गया है। कौन आगे है और कौन पीछे है। जिनके पास स्मार्ट फोन हैं वे लिंक पर जाकर देख लेते हैं कि कौन प्रत्याशी कितने वोट पा चुका है। जो लोग परदेश कमाने गए हैं, उन्हें भी ह्वाट्सएप पर लिंक भेजकर वोट डालने के लिए अनुरोध किया जा रहा है। माहौल वहां पूरी तरह से चुनावी हो गया है। प्रत्याशियों के बीच कड़ी टक्कर है।
मोबाइल के जरिए पक रहे ख्याली पुलाव
अभी तो पंचायतों का आरक्षण होना बाकी है। प्रत्याशियों की प्रत्याशिता तो तभी तय होगी। परंतु स्ट्रॉ पोल नाम के पोल मेकर लिंक ने संभावित प्रत्याशियों को चुनाव से पहले अपनी ग्रामसभा में मशहूर होने तथा मतदाताओं के बीच पकड़ का अहसास जरूर करा दिया है। अभी आयोग की तिथियां तो नहीं आई हैं, लेकिन गांवों में चुनाव शुरू है। कुछ गांवों में प्रधान जीत और हार भी चुके हैं। सबसे अधिक वोट पाने वालों को बाकायदा प्रधानजी का संबोधन भी मिलना शुरू हो गया है।