रेल यात्रियों सहित क्षेत्रवासियों की रेलवे की भूमि पर सरकारी अस्पताल बनने की हसरत धरी रह गयी। वर्ष 2010-11 के रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिलदारनगर में रेलवे की भूमि पर स्वास्थ मंत्रालय के सहयोग से ओपीडी एव डाईग्नोस्टिक सेंटर खोलने की घोषणा की थी।
सनद रहे की यूपीए सरकार में वर्ष 2010-11 के रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा दिलदारनगर में रेलवे की भूमि पर स्वास्थ मंत्रालय के सहयोग से ओपीडी एव डाईग्नोस्टिक सेंटर खोलने की घोषण की गयी थी। घोषणा होने के एक माह बाद पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर जोन से स्वास्थ विभाग की टीम दिलदारनगर पहुँचकर जमीन का निरीक्षण किया था। लेकिन दस साल बीत जाने के बाद भी रेल की जमीन पर स्वास्थ मंत्रालय के सहयोग से न तो ओपीडी और न हीं डाईग्नोस्टिक सेंटर खुला जिसका मलाल क्षेत्र के लोगों को आज भी है जबकि स्थानीय रेलवे स्टेशन पर कई मेल व एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव भी है।
अस्पातल नहीं होने के कारण दुर्घटनाग्रस्त रेलयात्रियों को आरपीएफ व जीआरपी पुलिस द्वारा उपचार के लिए 6 किमी दूर सेवराई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या 30 किमी दूर जिला मुख्यालय ले जाना पड़ता है। त्वरित उपचार के अभाव में रेल यात्रियों की जान भी चली जाती है। यही नहीं रेल कर्मचारी व ट्रेन में यात्रा के समय यात्रियों की तबियत अचानक ़खराब होने पर रेल अस्पताल मुगलसराय व बक्सर जाना पड़ता है।