रेलवे सहित 348 सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के विरोध में चारों तरफ आवाज उठने लगी है। इस क्रम में रविवार को पूर्व ब्लाक प्रमुख चंदा यादव के नेतृत्व में महिलाओं ने प्रधानमंत्री व रेलमंत्री को संबोधित पांच सूत्रीय ज्ञापन रेलवे स्टेशन यूसुफपुर के अधीक्षक अदीप कुमार को सौंपा। निजीकरण को आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने की साजिश करार दिया गया।
पूर्व ब्लाक प्रमुख ने बताया कि रेल गरीबों की सवारी है। केंद्र सरकार की ओर से रेलवे सहित अन्य सरकारी उपक्रमों का किया जा रहा निजीकरण आरक्षण पर यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है। कहा कि अगर रेलवे का निजीकरण हो जाएगा, आम लोग कैसे यात्रा करेंगे? जो हालत देश में निजी चिकित्सालय व वह विद्यालयों की है वही हालत रेल की हो जाएगी। आज सरकार नौकरी नहीं दे रही है, और पुराने 50 वर्ष की उम्र पूरी करने वाले कर्मचारियों की छंटनी करने लगी हैं। युवा बेरोजगारी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर हैं। महिला संघ की महासचिव उषा यादव ने कहा कि जिस प्रकार सरकार रेलवे बीमा बैंक सहित सैकड़ों उपक्रमों औन-पौन दाम पर पूंजीपतियों को बेचने जा रही है।
वह भयभीत करने वाला है। पत्रक के माध्यम से महिलाओं ने सार्वजनिक क्षेत्र के 348 उपक्रमों का निजीकरण बंद करने, जातीय गणना करें, ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर प्रावधानों पर सांसद गणेश सिंह संसदीय समिति की रिपोर्ट लागू करने आदि की मांग की। चेतावनी दिया कि अगर सरकार अपना रूख नहीं बदलती है तो सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे। पत्रक देने वालों में सोनू देवी, आसमा बेगम, सुगंती कुशवाहा, फूलमती, देवंती, कमला, निर्मला, आरती, शिव कुमारी, शिवमुनी देवी, फातिमा, रुखसाना, राधिका, परवीन आदि थीं।