2007 से 2012 के बीच मायावती सरकार ने मुख्तार अंसारी गिरोह के विरुद्ध अभियान चलाया था। इसमें मछली व्यवसाय के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई हुई थी। एकबारगी यह लगा था कि गैंग टूट गया है परंतु सपा सरकार आते ही एक बार फिर गिरोह जमकर फला-फूला। गिरोह ने मऊ सहित पूर्वांचल में एक बार फिर सिक्का जमाया। अब योगी सरकार ने एक बार फिर मुख्तार गिरोह को निशाने पर लिया है। कानपुर के बिकरू गांव में दुर्दांत अपराधी विकास दूबे गैंग के हमले में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद शासन ने सख्ती की। अपराधियों व उनके गैंग के विरुद्ध पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है।
अभी तक गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, वाराणसी सहित पूर्वांचल में पीडब्ल्यूडी, जिला पंचायत व आरइएस के ठीकों पर जहां मुख्तार गिरोह का सिक्का चलता है तो कोयला व्यापार में भी गिरोह की जबदरस्त दखल है। पुलिस प्रशासन सफेदपोशों, भू-माफियाओं व ठीकेदारों के संपत्तियों का ब्यौरा जुटाने में जुटा है। एक-एक की अवैध संपत्ति की जांच हो रही है। इसमें पूर्वांचल के कई चर्चित ठीकेदारों से लेकर सफेदपोश शामिल हैं। लोक निर्माण विभाग, जिला पंचायत व आरइएस के ठेकेदारों के संबंध खंगाले जा रहे हैं। हालांकि इसके पूर्व मछली व्यवसाय, अवैध बुचडख़ाना, अवैध वसूली तथा शस्त्र लाइसेंस आदि पर धड़ाधड़ कार्रवाई भी हो चुकी है।