पंचायत चुनाव लटकने के आसार पैदा हो गए हैं। सरकार ने चुनाव आयोग को अब तक चुनावी प्रक्रिया के संबंध में कोई गाइड लाइन जारी नहीं की है। वर्तमान पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। प्रधानी के चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को सामान्यत: छह माह का समय चाहिए। विशेष परिस्थितियों में चार माह के अंदर भी आयोग चुनाव करा सकता है। लेकिन एक सितंबर से मतदाता सूची पुनरीक्षण के कार्य के लिए आयोग ने जो आदेश जारी किया था शुक्रवार को उसे वापस ले लिया गया था। माना जा रहा है कि अगले दो-तीन दिनों में पंचायत चुनाव को लेकर सरकार ठोस फैसला लेगी।
चुनाव आयोग के अपर निर्वाचन आयुक्त वेदप्रकाश वर्मा ने 19 अगस्त को एक सितंबर से पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूची पुनरीक्षण के संबंध में जिलों को पत्र भेजा था लेकिन 21 अगस्त को इस पत्र को वापस ले लिया गया था जानकारी दी गई कि यह पत्र त्रुटिवश जारी हो गया है। जहां तक पंचायत चुनाव का सवाल है तो वर्तमान प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर को पूरा हो रहा है। निर्वाचन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सामान्य चुनाव के लिए आयोग को छह माह चाहिए लेकिन विशेष परिस्थितियों में चार माह में भी पंचायत चुनाव कराए जा सकते हैं। परिसीमन के आंकड़े मिलने के बाद आयोग 15 दिन में सूची जारी कर देगा। मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य भी आयोग 75 से 90 दिन में पूरा कर सकता है।