मंगई नदी का पानी उफान पर है। लौवाडीह के सिवान में सैकड़ों बीघे धान की फसल डूब गई है। इससे किसानों की कमर टूट गई है। करइल के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे अभिशाप साबित हो रहा है। दर्जनों गांवों के सैकड़ों बीघे खेती प्रभावित हो रही है। समस्या का ठोस समाधान न होने से किसानों में आक्रोश पनप रहा है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए मगई नदी में बनी अस्थायी पुलिया के पीपे को वहां से हटाए न जाने के कारण पानी का बहाव निर्बाध रूप से नहीं हो पा रहा है। वहीं जोगामुसाहिब के नूरपुर मौजे के पास पानी के निकास की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इससे मंगई का पानी गांव के मुख्य सड़क के काफी नजदीक पहुंच गया है। इसके अतिरिक्त जोगामुसाहिब, परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाइच, मुर्तजीपुर, पारो, रेड़मार, रघुवरगंज आदि गांवों के खेतों में भी पानी पसर चुका है। यही हाल रहा तो धान की खेती तो नष्ट हो जाएगी। इधर, रबी की बोआई भी नहीं हो पाएगी। कभी मछली का जाल तो कभी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के कार्यदायी संस्था की मनमाने रवैये से तीन साल से इस क्षेत्र में हजारों बीघे की खेती नहीं हो पाती है।
कभी नील नदी की तरह मंगई नदी वरदान थी तो अब यह अभिशाप बन गयी है। नदी का यह इलाका काफी बड़ा है। लौवाडीह, रघुवरगंज, परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाइच, करीमुद्दीनपुर, देवरिया, सियाड़ी, मसौनी, लट्ठूडीह, सोनवानी, सरदरपुर सहित कई गांव की हजारों एकड़ जमीन प्रभावित होती है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के कारण भौगोलिक स्थिति बदली है लेकिन कार्यदायी संस्था द्वारा ड्रेनेज सिस्टम बेहतर नहीं बनाये जाने के कारण ऐसी स्थिति आयी है। पूर्व में इस पर ग्रामीणों द्वारा काम रोको आंदोलन किया गया लेकिन अधिकारियों ने केवल कोरा आश्वासन दिया। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी उदासीन रवैया अपनाया जाता है।