आम की फसल बेहतर होने से व्यवसायियों के चेहरे खिले थे, लेकिन लॉकडाउन व आंधी ने अरमानों पर पानी फेर दिया। मुनाफे की आस लगाए बैठे व्यवसायियों के लिए इस बार आम घाटे की फसल साबित होगी। नुकसान से बचने को व्यवसायी कच्चे आम को मंडी में बेचने को मजबूर हैं।
फलों का राजा आम को लॉकडाउन व आंधी का ग्रहण लग चुका है। लॉकडाउन के कारण उर्वरक व कीटनाशक नहीं मिलने से रोगों ने फसल को घेर लिया। बाकी बची फसल में 40 प्रतिशत का नुकसान तीन चार बार आई आंधी ने पहुंचाया। व्यवसायियों के जेहन में था कि लॉकडाउन खुलने के बाद फसल की बिक्री अच्छी होगी तो नुकसान की भरपाई हो जाएगी लेकिन समय लगातार बढ़ रहा है। व्यवसायी हाजी अबुसालेह खां, अयूब खां नासिर, जमशेद खां का कहना था कि दो साल के मुकाबले इस बार शुरूआत से ही फसल काफी बेहतर थी। लॉकडाउन संग आंधी का काफी प्रभाव फसल पर पड़ा है।
आसपास की मंडी में जाता है आम
आम व्यवसायियों की मानें तो सालों पूर्व आम आसपास की मंडियों में एक्सपोर्ट होता था। धीरे-धीरे बागों का रकबा घटा तो पैदावार भी कम होने लगी। इससे एक्सपोर्ट बंद हुआ लेकिन स्थानीय मंडी में आम की खपत बेहतर है। आम खरीदने के लिए व्यापारी बागों में ही आते हैं। बागों में ही आम बिक्री हो जाती है।