पुरात्तव विभाग बीएचयू के प्रो. एके दुबे ने माटीगांव स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर में शनिवार को पूर्व दिशा में 80 सेमी खोदाई कराई। शाम तक चली खोदाई में शिवलिग के आगे का व्यास 33 सेमी, प्रणाल 12 सेमी और सुर्खी चूना से बना फर्श मिला। विभाग का मानना है कि मंदिर के नीचे एक और भव्य मंदिर प्रतीत हो रहा। खोदाई में मिल रहे प्राचीनतम अरघा, खंडित मूर्ति व अन्य चीजों का गहनता से परीक्षण चल रहा। अभी तक मिले साक्ष्यों के आधार पर लगभग 2000 वर्ष पूर्व प्राचीन काल में उक्त गांव धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा होगा।
जैसे-जैसे खोदाई का कार्य आगे बढ़ता जा रहा यहां मिलने वाले तथ्यों से लोगों में कौतूहल बढ़ता जा रहा है। चार दिन की खोदाई में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति के साथ गुप्तकालीन ईंटें, अरघा, फर्श मिलने से विशेषज्ञों ने मंदिर के नीचे एक अन्य भव्य मंदिर होने की संभावना जताई है। पुरातत्व विभाग की ओर से प्रोफेसर एके दुबे, राहुल कुमार त्यागी, अभिषेक कुमार सिंह, प्रेम दीप पटेल के नेतृत्व में खुदाई का कार्य चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से यहां दो महीने तक खोदाई कार्य रुका रहा। लेकिन जैसे अनलॉक-वन लागू हुआ उसी दिन से खोदाई शुरू हो गई है। हर रोज कोई न कोई रहस्य सामने आ रहा है। विशेषज्ञ भी इसके गंभीरता से ले रहे और खोदाई का दायरा बढ़ाते जा रहे हैं।
अभी तक जो जमीन खोदाई के लिए चिन्हित की है उसकी पूरी जानकारी एकत्र करने के साथ अन्य स्थानों पर भी खोदाई कराई जाएगी। बीएचयू के पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओंकारनाथ सिंह के नेतृत्व में यह कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि खोदाई के दौरान जो-जो सामान उपलब्ध हो रहे उनकी जांच कराई जा रही है। मसलन ये सामान किस काल के हो सकते हैं। गांव में किस तरह का रहन-सहन हो सकता है। उधर ग्रामीण भी इस खोदाई से गदगद हैं। उन्हें लगने लगा है कि मिल रहे अवशेषों से गांव पर्यटन या धरोहर के रूप में घोषित हो सकता है।