एक तरफ अनामिका शुक्ला प्रकरण ने प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में चल रहे फर्जीवाड़े से परदा हटा दिया है और केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं। वहीं दूसरी तरफ मीरजापुर में भी एक अनामिका नाम की शिक्षिका हैं जिन्होंने बिना स्कूल गए ही वर्षों से वेतन लेने का कारनामा कर दिखाया है। इसमें किसकी मिलीभगत है और कौन-कौन दोषी हैं यह तो जांच के बाद पता चलेगा लेकिन जिस तरह से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है, वह गंभीर सवालों के घेरे में है।
जनपद के जमालपुर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय बेलखड़ा में भी एक अनामिका कार्यरत हैं और मजे की बात है कि वे पिछले कई वर्षों से गायब चल रही हैं जिनकी खोजबीन में शिक्षा विभाग ने पिछले वर्ष से दिलचस्पी दिखानी शुरू की है। इनका पूरा नाम अनामिका चौरसिया है जिनकी नियुक्ति बेलखड़ा प्राथमिक विद्यालय में 2013 में हुई थी। सूत्रों की मानें तो अनामिका चौरसिया पिछले कई वर्षों से कभी विद्यालय नहीं पहुंची लेकिन उनको वेतन हर महीने जारी होता रहा। इतना ही नहीं इन अनामिका ने अभी तक न तो कहीं ट्रांसफर लिया और न ही प्रमोशन के लिए कोई कवायद की है। लोगों का कहना है कि ऐसी शिक्षिकाएं बच्चों का भविष्य क्या बनाएंगी जब उनका अपना ही भूत, भविष्य व वर्तमान संदेह के घेरे में है।
और भी अनामिकाएं हैं लाइन में
यह सिर्फ एक अनामिका की बात नहीं है बल्कि जनपद के विभिन्न स्कूलों में दर्जनभर शिक्षिकाएं व शिक्षक ऐसे हैं जो बिना स्कूल गए ही वेतन आहरित कर रहे हैं। इनमें से कई शिक्षिकाएं बड़े अधिकारियों के परिवार की सदस्य हैं जिन पर हाथ डालने से पहले विभाग को भी कई बार सोचना पड़ता है। फिलहाल इस मामले पर आलाधिकारी कुछ स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं हैं।