यूपी के केजीएमयू में वेंटिलेटर पर भर्ती उरई के डॉक्टर कोरोना को मात देने के बाद मौत से हार गए। किडनी फेल होने से उनकी मौत हो गई। डॉक्टर की दोनों बार की कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी लेकिन बाद में उनकी सांसें थम गईं। वे यूपी के पहले कोरोना संक्रमित मरीज थे, जिन्हें प्लाज्मा थेरेपी दी गई थी।
उरई निवासी डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल (58) पिछले 15 दिनों से वेंटिलेटर पर मौत से लड़ रहे थे। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 की गाइड लाइन के हिसाब से करने की तैयारी की गई। शव को विशेष पॉलीथीन में पैक किया गया। डॉ. सुनील कुमार अग्रवाल सरकारी अस्पताल में बतौर एनस्थीसिया विशेषज्ञ तैनात थे। परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनकी कोविड-19 में ड्यूटी लगाई गई थी। ट्रॉमा के इंचार्ज के रूप में तैनाती दी गई थी। 25 अप्रैल को डॉ. सुनील की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई। बुखार व गले में खराश भी थी। परिवारीजन मरीज को लेकर केजीएमयू पहुंचे। यहां लक्षणों के आधार पर कोरोना की जांच कराई। जांच में संक्रमण की पुष्टि हुई। उन्हें कोरोना वार्ड में भर्ती कराया गया। इस दौरान डॉक्टर की पत्नी, बेटे और बेटी की भी जांच कराई गई। पत्नी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। लिहाजा उन्हें कोरोना के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया। बच्चों की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें बीबीडी में क्वॉरंटीन किया गया। डॉ. सुनील का बेटा केजीएमयू से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है।
प्लाज्मा थेरेपी की गई थी:
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक कोरोना रिपोर्ट के बाद मरीज की तबीयत और बिगड़ गई। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। प्लाज्मा थेरेपी करने का फैसला हुआ। 26 अप्रैल की रात प्लाज्मा की पहली खुराक दी गई। उससे मरीज की तबीयत में सुधार हुआ। अगले दिन प्लाज्मा की दूसरी खुराक दी गई। इससे मरीज के फेफड़ों में काफी सुधार आया था। वेंटिलेटर की जरूरत धीरे-धीरे कम हो गयी थी।