प्रवासी मजूदरों के अपने घरों के लिए पैदल ही निकल जाने की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद प्रशासन इसे लेकर सतर्क हो गया है। शनिवार दोपहर पैदल चल रहे करीब दो हजार प्रवासी मजूदरों को गोरखपुर में प्रवेश की सीमा कालेसर के पास रोक लिया गया। वहां से प्रशासन ने उनके आगे जाने का इंतजाम किया।
पहले वहां रोडवेज बसें बुलाई गईं। फिर पता चला कि बसें, श्रमिक स्पेशल से आ रहे यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए लगी हैं। बसों के आने में देरी और कालेसर में मजदूरों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मजदूरों को ट्रकें बुलवाकर वहां से उनके घरों के लिए रवाना किया गया। मजदूरों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी थे। एक जगह जमा होने और ट्रकों पर सवार होने के दौरान सोशल डिस्टेसिंग बुरी तरह टूट गई। हालांकि अधिकारी और पुलिस कर्मी सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की कोशिश में जुटे रहे। उधर, ट्रकों की लाइन लगने और अन्य वाहनों को भी रोक दिए जाने की वजह से सड़क पर जाम की स्थिति बन गई थी।
मजदूर अपने परिवारों के संग कालेसर फ्लाईओवर के नीचे खड़े हो गए थे। इस वजह से वहां कुछ देर तक सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखना मुश्किल हो गया। प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने अपनी ओर से चप्पलें, पीने का पानी और भोजन भी मुहैया कराया। ट्रकों पर सवार हो जाने की होड़ में भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं बची। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही सामान से लदे ट्रकों के तिरपाल के ऊपर बड़ी संख्या में बैठते रहे। उनकी भीड़ और हड़बड़ी के बीच थोड़ी देर के लिए सारी व्यवस्था खत्म हो गई। ट्रक पर जिसे जहां जैसे जगह मिली वैसे सवार होकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ गया। बिना यह सोचे कि यह खुद उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है। कोरोना जैसी महामारी के फैलने के लिहाज से भी और दुर्घटना की आंशका के लिहाज से भी।