आत्मनिर्भर भारत अभियान निश्चित ही स्वदेशी के लिए मील का पत्थर साबित होगा। यह मानना है, उन लघु और मझोले इकाइयों को संचालित करने वाले लोगों की, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा में पीछे हो रहे थे। इन लोगों का कहना है कि अब ब्रांडेड का मतलब देशवासी स्वदेशी उत्पादों को ही समझेंगे। जी हां, चाहे चाका में बनने वाला वॉशिंग पाउडर हो अथवा कादीपुर की चप्पलें और नैनी के सैनिटाइजर और वेंटिलेटर पार्टस हों, अब इन्हें बाजार मिलेगा। इससे न सिर्फ इन इकाइयों को लाभ हो सकेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
स्वदेशी उत्पादों के प्रयोग के लिए प्रधानमंत्री ने किया है आह्वान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वदेशी उत्पादों के लिए किए गए आह्वïान के बाद उम्मीदों के साथ तेजी से चर्चा छिड़ी है। जिले में कांच उद्योग, सीमेंट पैकेजिंग प्लांट, सीमेंट फैक्ट्री, मेडिकल उपकरण व दवा, औषधीय दवा बनाने वाली कई छोटी-बड़ी इकाइयां हैैं। बिस्कुट से लेकर ब्रेड, चॉकलेट और आइसक्रीम फैक्ट्रियां हैैं। दाल, राइस, फ्लोर और ऑयल मिलें भी हैैं। चप्पल, वॉशिंग पाउडर, डिटर्जेंट केक से लेकर हेयर ऑयल और सैकड़ों की संख्या में फूड प्रोसेसिंग प्लांट है। चटनी, अचार, मुरब्बा, चिप्स-पापड़, नमकीन की ढेरों इकाइयां हैैं। इनमें काम करने वाले तथा मार्केंटिंग के लोगों के साथ संचालन करने वाले लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैैं।