अभी तक सांस, मुंह, व नाक से निकलने वाली ड्रापलेट्स और थूक से ही कोरोना वायरस (कोविड-19) का खतरा माना जाता था, लेकिन इस वायरस ने धीरे-धीरे लोगों को संक्रमित करने का रास्ता बदल दिया है। यह शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है। यहां तक कि मां का गर्भ भी। ऐसा ही एक मामला मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एसआरएन अस्पताल में आया। कोरोना संक्रमित मां ने जिस बच्ची को जन्म दिया, वह कोरोना संक्रमित मिली है। इससे डॉक्टर भी हैरान हैं। इसकी प्रामाणिकता जानने के लिए मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अमृता चौरसिया ने रिसर्च के लिए इसे केस स्टडी के रूप में लिया है।
प्रतापगढ़ की कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला का प्रसव 12 मई को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में कराया गया। आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) की गाइडलाइन का पालन करते हुए डॉक्टर की टीम ने प्रसव कराया। जन्म के तत्काल बाद ही नवजात बच्ची को ओटी से हटाकर सरोजनी नायडू चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में रखा गया। चूंकि मां कोरोना संक्रमित थी, इसलिए नवजात का सैैंपल भी जांच के लिए भेजा गया। 48 घंंटे बाद आई रिपोर्ट में वह भी संक्रमित मिली। ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया कि क्या नवजात को मां के गर्भ में ही कोरोना वायरस हो गया था? डॉ. चौरसिया कहती हैं कि यह संभव हो सकता है।