लॉकडाउन के बाद पूरे देश मे युवाओं का रोजगार जाते दिख रहा है। श्रमिकों के सामने आजीविका का संकट दिख रहा है। दूसरे राज्यों में काम करने वाले श्रमिक घर लौटने को मजबूर हो रहे हैं लेकिन ऐसे समय मे गांवों में महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज को पंख लग सकते हैं। काम छोड़कर गांव आए युवाओं के परिवारीजन इस बात से खुश हैं कि उनका बेटा परिवार में रहेगा और मिल जुल कर खेती के साथ ही काम धंधा कर आजीविका चलाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2018 में ग्राम स्वराज अभियान की शुरुआत मध्य प्रदेश से किया। योजना का उद्देश्य पंचायतों एवं ग्राम सभा की क्षमता और आम-आदमी की भागीदारी बढ़ाने के साथ गांव को सक्षम बनाना है। इससे प्रेरित रमना में दो दोस्तों ने एमएससी के बाद गांव में ही सुपर मार्केट को नजीर रूप में प्रस्तुत किया।
काशी विद्यापीठ ब्लाक के रमना निवासी दो दोस्त संतोष और राजेश ने साथ-साथ एमएससी की पढ़ाई की। इंजीनियरिंग में मन न लगा तो गांव में ही मां-बाप की सेवा के साथ रोजगार के सपने को साकार करने के लिए सुपर मार्केट बनाया। इसमें जनरल स्टोर के साथ रेडीमेड के सामान भरे हैं। आज दो दोस्तों की जोड़ी और कार्यक्षमता गांव के युवाओं के लिए नजीर है कि गांव में ही रह कर अच्छा व्यापार किया जा सकता है।
लॉकडाउन में भी इनकी आमदनी कम नहीं हुई। उनके अनुसार लोगों के पास पैसे का अभाव है मगर गांव से ही खरीदारी कर रहे हैं। बीज की दुकान चलाने वाले लालजी पटेल ने बताया कि पहले लोग बीज और कीटनाशक लेने शहर जाते थे लेकिन अब इससे ही पूरा परिवार चल जाता है। आनंद के मुर्गी पालन ने लोगों को अलग रोजगार दिखाया और कई लोगों ने शुरू कर दिया। दूध का भी व्यापार रमना में काफी अच्छा है।