बाहर से घर को चले प्रवासी मजदूरों के कदमों ने कोरोना संक्रमण का गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। गोरखपुर व बस्ती मंडल में पिछले दो दिनों में सर्वाधिक 25 संक्रमितों के सामने आने से चिंता की लकीर और गाढ़ी हो गई है। इससे पहले 128 प्रवासी संक्रमित पाए गए हैं। चिंता इस बात की है कि कहीं प्रवासी मजदूरों के कदमों के सहारे कोरोना यहां पांव न जमा ले। बिना रोकटोक गांव पहुंचने को लेकर भी प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
अप्रैल में पकड़ में आया पहला मामला
गोरखपुर में 26 अप्रैल को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल से लौटा हाटा बुजुर्ग निवासी व्यक्ति कोरोना संक्रमित निकला। यह पहला मामला था। इसी अस्पताल से आए बांसगांव के भैसा रानी के एक परिवार की महिला 29 अप्रैल को संक्रमित मिली। मुंबई से आया बिछिया निवासी नेपाली नागरिक व भरवल बेलीपार निवासी एक युवक भी पॉजिटिव मिला। 12 प्रवासी आठ मई को मुंबई से पैदल चले थे। रास्ते में डीसीएम पकड़ ली। उन्नाव में एक साथी की मौत के बाद चालक ने वहीं उतार दिया। उन्नाव प्रशासन ने शव के साथ कटया गांव, बेलीपार के चार लोगों को एंबुलेंस से गोरखपुर भेज दिया। 10 मई को पहुंचने के बाद जांच में दो कोरोना पॉजिटिव मिले। अन्य सात साथी चोरी-छिपे घर पहुंच गए। 14 मई को जांच में इनमें से भी चार पॉजिटिव मिले।
यहां मई में मिली पहली कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट
देवरिया में चार प्रवासी कोरोना संक्रमित मिले हैं। 10 मई को मुंबई से घर आए भलुअनी क्षेत्र के लक्ष्मीपुर निवासी युवक की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव मिली। पहला केस रामपुर कारखाना के विशुनपुर कला गांव में मिला। मुंबई से 30 अप्रैल को एंबुलेंस से चार लोग आए थे। इसमें तरकुलवा क्षेत्र के फरेंदहा गांव निवासी एक व्यक्ति व इसके साथ आए भैसाडाबर गांव के दो अन्य जांच में संक्रमित निकले। देसही देवरिया के भटनी हर्रैया गांव में भी मुंबई से आया एक व्यक्ति पॉजिटिव मिला।