परिस्थितियां कितनी भी विपरीत हों लेकिन मां अपने बच्चों के लिए अपनी जान लड़ा देती है। गरीबी के अभिशाप और विधवा हाल में अपने बच्चों को बढ़ा-लिखा कर अफसर बनाना कल्पना से इतर है। इसे सच कर दिखाया है चन्नर देवी ने। जिन्होंने अल्प उम्र में पति को खो दिया लेकिन परिस्थतियों से लड़ते हुए एक बेटे को अफसर तो दूसरे को शिक्षक बना दिया।
सादात क्षेत्र के हुरमुजपुर गांव निवासी चन्नर देवी के पति की मृत्यु उस समय हो गई जब बड़ा बेटा महज आठ-नौ वर्ष का था। चन्नर देवी के बड़े बेटे व विन्ध्याचल मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक कामता राम पाल ने बताया कि उन्होंने हुरमुजपुर गांव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा तीन में पढ़ते थे तभी पिता भुवाल पाल का बीमारी से निधन हो गया था। घर में हम तीन भाइयों व एक बहन व चाचा भरत पाल सहित संयुक्त परिवार था। आजीविका के नाम पर मात्र कुछ खेती-बारी के अलावा पारंपरिक भेड़ पालन ही था। मां ने उस समय हार न मानते हुए मुश्किलों से साहस व हौसले के साथ लड़ा। मां की तपस्या से ही मैं हुरमुजपुर सर्वोदय इंटर कालेज से हाईस्कूल करने के बाद प्रयागराज से उच्च शिक्षा ग्रहण किया। मेरा वर्ष 1997 में पीसीएस के तहत जेल अधीक्षक पद के लिए चयन हुआ। बाद में शिक्षा विभाग में आ गया। छोटे भाई लालजी पाल भदोही में परिषदीय विद्यालय में शिक्षक हैं।