सरकार की ओर से यहां पंजीकृत मजदूरों व प्रवासी श्रमिकों के लिए कई योजनाएं चल रही हैं। आपदा राहत सहायता योजना से मजदूरों को योगी सरकार प्रतिमाह 1000 रुपये दे रही है। पंजीकृत मजदूरों एवं उनके परिवार के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं। लॉकडाउन के कारण यहां आए करीब 27 हजार प्रवासी मजदूरों का श्रम विभाग में पंजीकरण किया है। मजदूरों के साथ आए उनके बच्चे एवं महिलाएं भी इसमें शामिल हैं। सबसे ज्यादा मजदूर महाराष्ट्र एवं गुजरात से आए हैं।
अब आया याद अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम
प्रवासी श्रमिकों की हर तरह की मदद एवं सुरक्षा प्रदान करने को वैसे तो अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम- 1979 दशकों पहले बन गया था। बावजूद इसके किसी भी सरकार ने इसका कड़ाई से पालन नहीं कराया। इसके तहत अगर यहां के मजदूर किसी ठीकेदार के माध्यम से दूसरे राज्य में जाते हैं तो उनका श्रम विभाग में पंजीकरण जरूरी होता है, ताकि किसी कामगार संग घातक दुर्घटना होने से उसे शारीरिक क्षति पहुंचने पर ठेकेदार दोनों राज्यों के सक्षम अधिकारियों, श्रमिक के रिश्तेदार को इसकी जानकारी दे।
मृत्यु की स्थिति में स्वजन को पर्याप्त मुआवजे का प्रावधान है। हालांकि, अब तक की सरकारों की घोर लापरवाही के कारण इसका डाटा ही नहीं है कि अपने राज्य से बाहर कितने मजदूर दूसरे राज्य में कार्य के लिए गए हैं। कोरोना संकट में महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान व दिल्ली में खानपान व रहने की व्यवस्था न मिलने से मजदूर अपने राज्य आने को विवश हो गए।