लॉकडाउन का असर दूध के कारोबार पर साफ दिख रहा है। मांग में भारी गिरावट के कारण पशुपालकों की कमर टूट गई है। दूध, दही, चाय, मिष्ठान्न की दुकानें बंद होने से दूध की बिक्री लॉक हो गई है। तीसरे के बाद चौथे चरण का लॉकडाउन जारी होने का संकेत मिल चुका है, जिससेे दूधिये परेशान हैं। हालात यह है कि गली -गली घूमकर दूधिये खरीदार खोज रहे हैैं ताकि उनकी लागत निकल जाए और पशुओं के चारे का इंतजाम हो सके।
हर वर्ष लग्न के सीजन में दूध के दाम आसमान पर होते थे, वहीं इस बार दूधिये पानी के दाम में दूध बेचने को मजबूर हैैं। दूधिये अब दूध से बने पनीर, दही, खोवा को गलियों में फेरी लगाकर औने-पौने दामों में बेचकर लागत निकालने की जुगाड़ में लगे हैैं। शहर की सभी दूध मंडियां इस समय बंद हैैं जिससे उत्पादन के अनुरूप मांग कम है। कमोवेश यही हाल ग्रामीण इलाकों में भी है।
दूधिये निराश, पशुपालक हताश
चौबेपुर के पशुपालक अरूण चौबे ने बताया कि गेहूं की पैदावार कम होने से भूसा आठ सौ रुपये मन बिक रहा है। दूध की खपत कम होने से दूधिये दूध नहीं खरीद रहे हैैं। पशुपालक ऋषिकांत दुबे ने बताया कि खली चुनी महंगा होने से मवेशी का खर्च उठाना भारी पड़ रहा है। समझ नहीं आ रहा, कैसे पशुओं को पालें। दानगंज के धर्मेंद्र का कहना है कि पहले प्रतिदिन 2000 लीटर दूध की खपत थी, लेकिन अब घटकर 800 लीटर हो गई है। इससे संकट की स्थिति हो गई है। भारतीय पशुपालक संघ के जिलाध्यक्ष विजय बहादुर यादव ने बताया कि पशुपालन लॉकडाउन में घाटे का सौदा हो गया है। सरकार द्वारा पशुपालकों को कोई राहत न मिलने से चिरईगांव के पशुपालक हतोत्साहित हैं।