यूपी से लेकर दिल्ली तक व दिल्ली से महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, बिहार,झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल व उत्तराखंड तक जहां भी प्रवासी फंसे हैं, उन सभी को घर पहुंचने से पहले थर्मल स्कैनिंग के टेस्ट में पास होना जरूरी है। शरीर का तापमान अधिक पाए जाने पर उन्हें वहीं रोक दिया जाता है और क्वारंटाइन कर दिया जाता है। मगर प्रवासियों ने इससे बचने का ऐसा तरीका खोज निकाला है, जो देश भर में कोरोना के विस्फोट का बड़ा कारण बन सकता है।
ड्रग विभाग की जानकारी में यह बात सामने आई है कि थर्मल स्कैनर को छकाने के लिए कुछ प्रवासी लोग क्रोसिन(पैरासिटामॉल) की गोलियों का सहारा ले रहे हैं। ताकि उनका वास्तविक तापमान इसकी पकड़ में न आए और वह किसी तरह अपने गृह जनपद पहुंच सकें। विभिन्न शहरों से इस तरह की सूचनाएं मिलने पर इसकी विक्री को नियंत्रित करने के लिए ड्रग विभाग की ओर से हाल ही में एक सर्कुलर भी जारी किया गया है। जिसके तहत ई-पोर्टल पर पैरासिटामॉल खरीदने वालों का नाम, पता व मोबाइल नंबर दर्ज करना जरूरी कर दिया है। ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें ट्रेस किया जा सके।
चार से छह घंटे तक रहता है असर
लोहिया संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. श्रीकेश सिंह कहते हैं कि पैरासिटामॉल खाने पर यह बढ़े हुए तापमान को सामान्य कर देता है। अगर कोई व्यक्ति साधारण बुखार से पीड़ित है तो उसमें इसका असर चार से छह घंटे व कभी-कभी आठ घंटे तक भी रह सकता है। ऐसी स्थिति में थर्मल स्कैनर से जांच करने पर शरीर के वास्तविक तापमान का पता नहीं चल पाता। इसलिए जिनका तापमान सामान्य है, उन्हें भी 14 दिन का क्वारंटाइन जरूरी है।