चेन्नई से शनिवार रात आठ बजे स्पेशल ट्रेन से रवाना हुए लखनऊ के विवेक कुमार सोमवार दाेपहर 3:30 बजे लखनऊ पहुंचे। विवेक कुमार खुश थे कि वह अपने घर पहुंच गए। सामान लेकर उतरे ही थे कि सामने आरपीएसएफ की महिला कांस्टेबल ने विवेक को दोबारा बोगी में चढ़ने के आदेश दिए। महिला कांस्टेबल का कहना था कि इस ट्रेन का टिकट बस्ती तक है। इसलिए लखनऊ नहीं उतर सकते। बस्ती जाकर वहां से बस से वापस आना होगा। लखनऊ से बस्ती का रास्ता करीब चार घंटे का था। विवेक बस्ती गए और वहां दो घंटे की थर्मल स्क्रीनिंग प्रक्रिया के बाद वह बस से वापस लखनऊ की ओर रवाना हुए। जिसमें 10 घंटे का समय लग गया।
रेलवे और यूपी के परिवहन व स्वास्थ्य विभाग के बीच आपसी समन्वय की कमी के कारण रोजाना सैकड़ों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों को 12 से 24 घंटे अधिक सफर करना पड़ रहा है। अपने घर के निकटतम रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का ठहराव हाेने के बावजूद श्रमिकों को उतरने नहीं दिया जा रहा है। वह अंतिम स्टेशन तक यात्रा को मजबूर हैं। रेलवे अपनी श्रमिक स्पेशल का टिकट अंतिम स्टेशन का ही बना रहा है। ट्रेन की सूची यूपी के परिवहन निगम और स्वास्थ्य विभाग को भेजी जा रही है। अंतिम स्टेशन पर आने वाले श्रमिकों की संख्या के आधार पर ही निगम जहां बसाें का इंतजाम कर रहा है। वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग श्रमिकों की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था कर रहा है।