सरकार के कोविड-19 के अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को मलेरिया, गले में संक्रमण और बुखार की टेबलेट दी जा रही है। प्रदेश में इन दवाइयों की लाखों टेबलेट खाकर अब तक 4353 मरीजों में से 2,444 मरीज ठीक हो गए हैं। इस तरह इस समय केवल 1881 मामले कोरोना पॉजिटिव के रह गए हैं।
इन कोविड अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस के मरीजों के लिए अब तक पैरासिटामॉल की 15 करोड़ 46 लाख टेबलेट, हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन की 52 लाख 40 हजार टेबलेट और अजीथ्रोमाइसिन की एक लाख 40 हजार टेबलेट की आपूर्ति की जा चुकी है। ये सभी दवाइयां मेडिकल सप्लाई कार्पोरेशन ही हर कोविड अस्पतालों को उनकी मांग के अनुसार भेज रही है।
दवाइयां भी एक प्रकार की थेरेपी
संचारी विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. विकासेन्द्रु अग्रवाल बताते हैं कि फौरी तौर पर कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कुछ दवाइयों का उपयोग किया जाता है। यह भी एक प्रकार की थैरेपी ही है। इन तीनों दवाइयों का उपयोग वैसे तीन अलग तरह की बीमारियों में किया जाता है लेकिन कोरोना संक्रमण में इनका एक खास तरह से मिलाकर किया जा रहा प्रयोग सफल रहा है।
बिना सलाह जानलेवा भी साबित हो सकती हैं ये दवाएं
कोविड अस्पतालों के डॉक्टर इन दवाइयों का बड़ी सावधानी पूर्वक और पूरे मेडिसिन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दे रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि इन दवाइयों को जरूरत पड़ने पर ही चरणबद्ध तरीके से दिया जाता है। चिकित्सीय सलाह के बिना इन दवाइयों का उपयोग जानलेवा भी साबित हो सकता है।