कोरोना के मामले में दिल्ली-गुजरात, महाराष्ट्र समेत अन्य दूसरे राज्यों की चूक का खामियाजा बिहार भुगत रहा है। प्रवासियों की आवाजाही के लिए जारी केंद्र सरकार की गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि जांच के बाद ही किसी को ट्रेन में बिठाया जाएगा। कोरोना के लक्षण वाले व्यक्ति को जहां है, वहीं रोककर इलाज कराया जाएगा। मतलब संक्रमण का लक्षण वाला कोई आदमी आवाजाही नहीं करेगा। जांच किस तरह हुई? यहां पहुंचने वाले प्रवासियों के संक्रमण से इसका पता चलता है। नकारात्मक पहलू यह भी है कि इसके चलते घर आए स्वजनों को लोग संदेह भरी नजरों से देख रहे हैं।
ताज्जुब की बात यह है कि सबसे अधिक संक्रमण उनके बीच है, जो ट्रेन से आए। पश्चिम बंगाल छोड़कर अन्य राज्यों में रहने वाले अधिक लोगों ने अपने घर पहुंचने के लिए ट्रेन का ही सहारा लिया। प्रस्थान वाले रेलवे स्टेशनों पर स्वास्थ्य जांच का पूरा तामझाम भी था। इन ट्रेनों से आए मुसाफिर सेहत की जांच के बारे में कहते हैं कि तापमान जांच के बाद उनसे सिर्फ कुशल क्षेम पूछा गया। मसलन, सर्दी-बुखार नहीं न है? घर लौटने की बेचैनी में सबने यही कहा कि उनकी सेहत अच्छी है, जबकि जिन प्रवासियों की जांच में कोरोना पाया गया, उनमें से अधिक संख्या उनकी है, जिन्हें ट्रेन से उतरने के बाद सीधे क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। वहां पर हुई प्रारंभिक जांच में ही कोरोना के लक्षण मिल गए थे। अगली जांच में पुष्टि हुई।