बिहार में 83 फीसदी ऐसे मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें कोरोना का पूर्व से कोई लक्षण नही था। वे जांच कराने गए किसी अन्य समस्या का और जांच के दौरान कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट में पाए गए। जांच के सैम्पलों की टेस्टिंग लैब में बारी़की से जांच की जा रही है, जिसका परिणाम है कि प्रतिदिन बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज सामने आ रहे हैं। हाल ही में तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में आने वाले प्रवासी श्रमिकों के रैंडम जांच के दौरान 332 प्रवासियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इन्होंने वहां से चलने के दौरान इस बात का अनुमान भी नही किया था कि वे कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं।
केस-1
कोरोना के संक्रमण की शुरुआत में ही मुंगेर से किडनी की समस्या को लेकर इलाज के लिए पटना पहुंचे एक मरीज ने पहले इधर -उधर निजी अस्पतालों में जांच कराया। बाद में थककर जब एम्स में इलाज के लिए पहुंचा तो वहां डॉक्टरों ने कोरोना की जांच की। रिपोर्ट आयी तो वह कोरोना पॉजिटिव निकला। हालांकि उसका मर्ज इतना बढ़ चुका था कि उसकी जान नहीं बचायी नही सकी।
केस-2
अरवल के कुर्था निवासी एक प्रवासी श्रमिक कमाने के लिए बाहर गया था। वह कोरोना के संक्रमण की शोर सुनकर पहले ही घर लौट गया। लेकिन जब उसकी तबीयत खराब होने लगी तो वह डॉक्टर के संपर्क में आया। उसकी कोरोना जांच कराई गई तो वह कोरोना पॉजिटिव निकला। उसका इलाज जारी है।
केस-3
यूरोप के देश से बिहार लौटा एक युवक अपनी मां को लेकर नेपाल और फिर दिल्ली भी घूमने गया। लेकिन, जब पटना लौटकर कोरोना की जांच कराई तो माता जी कोरोना पॉजिटिव निकलीं। उनका इलाज किया गया और वह स्वस्थ होकर घर लौट गईं।
केस-4
पटना के खाजपुरा में एक व्यक्ति बैंक एटीएम में पैसे डालने वाली गाड़ी का चालक था। उसे बहुत दिनों तक कोरोना से संक्रमित होने की जानकारी नही थी। जब उसकी पत्नी कोरोना पॉजिटिव निकली तब पूरे परिवार की जांच की गई। बाद में पता चला कि वह खुद कोरोना के संक्रमण का शिकार हो गया है।