बिहारीगंज प्रखंड के रहटा से एक महिला के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उसके घर को केंद्र मानकर तीन किलोमीटर के रेडियस के पांच गांवों को शुक्रवार की रात से ही सील करने की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन बिना तैयारी के आनन-फानन में की गई कार्रवाई की पोल एक ही दिन में खुल गई। कहीं पर लोगों ने मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं होने के कारण बैरिकेडिंग को तोड़ दिया तो कहीं पर पुलिस बल नहीं हाेने के कारण लोगों का आवागमन होते रहा। झलाड़ी- गंगौरा सीमा पर रविवार की सुबह 10 बजे बांस-बल्ला से बनी बैरिकेडिंग टूटकर सड़क के किनारे पड़ी थी।
आस-पास के लोगों ने बताया कि शनिवार की रात 9 बजे तक ही यहां पर कुछ पुलिसकर्मी मौजूद थे। रात के बाद से कोई नहीं आया। इस कारण से इधर से जाने वालों ने बेरिकेडिंग को तोड़ दिया। लोगों की आवाजाही शुरू हो गई। इस बाबत जब मजिस्ट्रेट बने पीटीएस किशोर कुमार झा से मौके से ही फोन पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कुछ काम से घर आ गए थे। पुलिस से भी बात किए हैं। वे लोग भी जा ही रहे होंगे। इसके बाद आनन-फानन में धीरे-धीरे पुलिस पदाधिकारी और मजिस्ट्रेट पहुंचे और बेरिकेडिंग को फिर से ठीक-ठाक कर रास्ते को ब्लॉक किया। यहां पर प्रभारी पदाधिकारी के रूप में पीटीएस किशोर कुमार झा एवं कृषि समन्वयक कौशल किशोर अंबेदकर हैं। जबकि उदाकिशुनगंज थाने के दारोगा राकेश पासवान एवं गंगाधर प्रसाद यादव को चार-चार सशस्त्र बल के साथ तैनात किया गया है।
खाना खाने घर गए थे ड्यूटी पर तैनात मजिस्ट्रेट
मधुबन-गंगोरा सीमा पर सुबह में एकमात्र पुलिस अधिकारी मो. हारूण मौजूद थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि अकेले रहने के कारण कंटोनमेंट जोन में जबरन लोग घुस जाते हैं। लोगों को रोकने पर जबरन बहस करना शुरू कर देते हैं। मजिस्ट्रेट उमेश बैठा ने बताया कि वे खाना खाने के लिए घर आए थे, थोड़ी ही देर में पहुंच रहे हैं। थानाध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अविलंब सशस्त्र बल को भेज रहे हैं। जैसे ही प्रशासनिक अधिकारियों में भास्कर संवाददाता के चेक पोस्ट पर पहुंचने की जानकारी मिली, महकमे में हलचल मच गई। यहां प्रभारी पदाधिकारी में कृषि समन्वयक जयशंकर कुमार एवं बीएओ उमेश बैठा हैं। पुलिस में बिहारीगंज थाने के दारोगा धनेश कुमार सिंह एवं मो. हारूण व अन्य सिपाही हैं।
बेटे की पीड़ा : पेट दर्द में आराम होगा फिर न मां अपना भूख मिटाएगी...
बिहारीगंज | रहटा में एक महिला के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद उस इलाके में प्रशासनिक कवायद जारी है, पर पटना के एनएमसीएच में भर्ती महिला के बेटे ने वहां की कई तरह की परेशानी बयां की। पीड़ित के पुत्र ने बताया कि वह अपनी मम्मी को देखकर आया, वह बिल्कुल ठीक है। उसकी मम्मी में एक भी कोरोना का लक्षण नहीं दिख रहा है। फिर भी पता नहीं उसकी मम्मी को क्यों कोरोना वार्ड में रख दिया गया है। कहा कि उसने अपनी मम्मी से बात भी की। हालांकि उसने बताया कि मम्मी के पेट में दर्द है। बावजूद कोई भी डॉक्टर देखने एक बार भी नहीं आता है। न ही दवा दी जा रही है। जबकि उक्त वार्ड में 30 से 40 व्यक्ति मौजूद हैं। यही हाल रहा तो उसकी मां कोरोना से पहले दवा व चिंता से ही मर जाएगी। वहां खाने-पीने की कोई समस्या नहीं है। लेकिन जब उसके मां का पेट दर्द ठीक होगा, इसके बाद ही न वह कोई चीज खाएगी।
तैनात पदाधिकारियों ने दी अपनी-अपनी सफाई
झलाड़ी-गंगौरा सीमा के प्रभारी पदाधिकारी कृषि समन्वयक कौशल किशोर अंबेदकर ने दोपहर में सफाई दी। उन्होंने कहा कि झलारी-गंगोरा सीमा मुख्य सड़क से 1 किलोमीटर अंदर है। पर वहां के लोग पहले से मुख्य चौक को जाम कर रखे थे। अंदर जाने नहीं दिया। इस वजह से मुख्य चौक झलाड़ी पर ही बैरिकेडिंग लगाकर बंद किया गया था। उनकी ड्यूटी रात को है। अभी दिन में क्या हो रहा है हमें पता नहीं। पुलिस पदाधिकारी उदाकिशुनगंज थाने के दारोगा राकेश पासवान ने बताया कि गलतफहमी की वजह से मुख्य चौक पर ही बैरिकेडिंग लगाकर सील किया गया था। अब जबकि जानकारी मिली है तो मुख्य चौक से 1 किलोमीटर अंदर गंगोरा और झलाड़ी सीमा पर पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रभारी पंचायत तकनीकी सहायक किशोर कुमार झा ने कहा कि दलाली चौक पर बजरंगबली स्थान के पास लोगों को रोका जा रहा है।