बरकत और रहमत का पाक महीना रमजान का पहला दिन शनिवार से शुरू हुआ। कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन रहने के कारण रोजेदारों ने घर से बाहर निकलने से परहेज किया और घर में ही नमाज पढ़ी। रोजेदार दिन भर बिना अन्न-जल ग्रहण किये बगैर अल्ला ताला की इबादत में जुटे रहे और दिन में जौहर व असर का नमाज अदा किया। कुरआन की तिलावत की और फिर शाम में अजान होने के बाद इफ्तार किया। इफ्तार के बाद मगरीब की नमाज अदा की। रात में ईसा की नमाज अदा की गयी और सभी ने तरावीह पढ़े।
जरूरतमंदों को दान करने के बाद इफ्तार किया गया। वहीं, जामा मस्जिद चेवाड़ा के मौलाना अबशारुल हक ने रमजान की विशेषता पर रौशनी डालते हुए कहा कि इस पाक महीने को तीन असरे (दस दिन) में बांटा गया है। इसमें पहला दस दिन रहमत का व दूसरा अशरा मगफिरत का तथा तीसरा अशरा जहन्नुम से निजात का है। इसलिए खुशनसीब हैं वे लोग जिन्होंने यह मुबारक महीना पाया और रोजा का हक अदा कर खुदा को खुश किया। लॉकडाउन का पालन करना भी जरुरी है, रोजेदार अगर लॉकडाउन पालन करेंगे तो अल्लाह पाक और ज्यादा सबाब (नेकी) देंगे। उन्होंने कहा कि रोजेदार अपने घरों में तराबीह नमाज पढ़े और इबादत करें।
नन्हे रोजेदारों ने भी रखा रोजा
अल्लाह की इबादत के लिए उत्साहित नन्हे रोजेदारों ने भी रोजा रखा और कहा कि अल्लाह ताला की रहमत से काफी अच्छी तरह से रोजा पार लग जाता है। सात साल की हिबा और 14 साल की हफ़सा ने कहा कि अल्लाह की इबादत के आगे मौसम का कोई महत्व नहीं रह जाता। गर्मी तो है लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता।